ॐ गणेशाय नमः
गणपति परिवारं चारुकेयूरहारं,
गिरिधरवरसारं योगिनी चक्रचारम्।
भव-भय-परिहारं दुःख दारिद्रय-दूरं
गणपतिमभिवन्दे वक्रतुण्डावतारम्।
अंक के बिना जब सृष्टि का प्रारम्भ संभव नहीं, तो अंक के बिना कोई भी कार् का शुभारम्भ भी असंभव होता है। अंक ही वैदिक गणित का सृजन किया और अंक के आधार पर ही ब्रह्म स्वरूप का दर्शन हुआ। ज्योतिष वेदांग, सृष्टि के उदय से प्रलय काल तक की सभी घटनाओं का आधार स्तम्भ है, ज्योतिष तथा समय का विवरण अंक शास्त्र के अनुसार प्राप्त होता है। इस प्रकार यह स्पष्ट है कि अंक और ज्योतिष में सम्बन्ध है।
अंक किसी भी वस्तु और क्रिया सम्बन्ध को प्रमाणित करता है, हमारे शास्त्र में 108 मणियों की माला बनाने का विधान है, तथा इन संख्याओं का अपना अलग-अलग महत्व है। जैसे धन की प्राप्ति हेतु 30 मणियों की माला का प्रयोग किया जाता है, तो सभी प्रकार की सिद्धियों के लिए 27 मणियों की, इसी प्रकार 54 मणियों की माला और 108 मणियों की माला सभी प्रकार की सिद्धियाँ प्रदान करती हैं। अभिचार कर्म के लिए 15 मणियों की माला व्यवहार में लायी जाती है।
किसी भी जातक की जन्म तारीख अथवा जन्म तारीख के योग को मूलांक कहा जाता है।
1. किसी भी जातक की जन्म तारीख 5 = 5 है। अथवा जन्म तारीख 14 (1+ 4) = 5 है इसे मूलांक कहते हैं।
2. किसी भी जातक की जन्म तारीख महीना और इस्वीसन् सभी के योग जैसे 23.11.1975 है अर्थात् 2+3+1+1+1+9+7+5 = 29 (2+9) = 11= 1+1=2 को भाग्यांक कहते हैं।
ज्योतिष में अंक का बहुत बड़ा महत्व है। ज्योतिष की प्रथम प्रक्रिया गणना ही मानी जाती है। यदि गणित की प्रक्रिया पूरी नहीं हो तो, फलादेश भी संभव नहीं है, अर्थात् ज्योतिष और अंक का सम्बन्ध स्थापित होता है।
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